अनाथ रोहताज की मौत पर नेताओं की चुप्पी: शर्म आनी चाहिए, पानी में डूब मरना चाहिए”
रोहताज, जो जन्म से मूक और बधिर था, डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मृत घोषित कर दिया गया और दो घंटे तक डिप फ्रीजर में रखा गया। इस क्रूर लापरवाही के कारण उसकी मौत हो गई। मामले में डॉक्टरों और सीएमएचओ को निलंबित किया गया, लेकिन सवाल उठता है कि रोहताज की मौत को हत्या मानते हुए कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
जब कलकत्ता में एक डॉक्टर की हत्या पर नेताओं ने आवाज उठाई, तब रोहताज की मौत पर वे क्यों चुप हैं? क्या अनाथ की जान की कोई कीमत नहीं? यह स्थिति हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों को उजागर करती है।
राजेश कुमार विशनदासानी ने इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है। वह कहते हैं, “मैं उन डॉक्टरों को सजा दिलाकर रहूंगा जिन्होंने रोहताज की हत्या की।”
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ऐसे लापरवाह डॉक्टरों और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है? अब वक्त है आवाज उठाने का, ताकि हर अनाथ को न्याय मिल सके।
डॉक्टरों की लापरवाही से अनाथ रोहताज की मौत, न्याय की पुकार
दोस्तों, आज की इस कहानी को सुनकर आपका दिल दहल जाएगा। ये कहानी है एक अनाथ लड़के, रोहताज की, जो बोल और सुन नहीं सकता था। लेकिन उसकी जिंदगी को डॉक्टरों की लापरवाही ने छीन लिया।
रोहताज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया, जबकि वो जिंदा था। उसे दो घंटे तक डिप फ्रीजर में रखा गया। सोचिए, एक जिंदा इंसान को मुर्दा समझकर फ्रीजर में रखा गया हो, तो उसकी क्या हालत होगी? और आखिरकार, इस लापरवाही के कारण उसकी मौत हो गई।
फिर हुआ क्या?
मामला सामने आने पर डॉक्टरों और सीएमएचओ को केवल सस्पेंड कर दिया गया। लेकिन क्या सस्पेंशन इस मौत का जवाब है? क्या इस लापरवाही को हत्या नहीं माना जाना चाहिए?
और इससे भी बड़ा सवाल ये है कि डॉक्टरों ने फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तैयार की। झूठे दस्तावेज बनाए ताकि सच को छुपाया जा सके।
कहां गए हमारे नेता?
जब कलकत्ता में एक जूनियर डॉक्टर की हत्या हुई थी, तब नेता विधानसभा से लेकर संसद भवन तक चिल्ला रहे थे। धरने दिए, रैलियां कीं। लेकिन जब रोहताज जैसे अनाथ की मौत हुई, तो ये नेता गायब हो गए। क्या अनाथ की मौत कोई मायने नहीं रखती?
श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर की कहानी
दोस्तों, ये सिर्फ एक घटना नहीं है। शहडोल, मध्य प्रदेश के श्रीराम हेल्थ केयर सेंटर की बात करें, तो वहां भी महिलाओं की मौत पर फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाई गई। मनीषा सिंह और कविता तिवारी जैसी महिलाओं की मौत पर भी प्रशासन ने सच्चाई को दबाने की कोशिश की।
हम क्या कर सकते हैं?
मैं, राजेश कुमार विशनदासानी, इस अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ने का वादा करता हूं। मैं अदालत जाऊंगा और डॉक्टरों को सजा दिलाकर रहूंगा। लेकिन दोस्तों, हमें इस सिस्टम को बदलने के लिए अपनी आवाज उठानी होगी। हमें न्याय के लिए लड़ना होगा।
आखिर में…
दोस्तों, क्या ऐसे डॉक्टरों को अस्पताल में रहने का हक है? क्या ऐसे नेताओं को हमारी चुप्पी का फायदा उठाने देना चाहिए? अब वक्त है, आवाज उठाने का। रोहताज की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की हत्या है।
अगर आप भी इस अन्याय के खिलाफ हैं, तो इस वीडियो को लाइक करें, शेयर करें, और अपनी राय नीचे कमेंट करें। साथ मिलकर, हम न्याय ला सकते हैं।