5.4 C
London
Saturday, March 15, 2025
Homeदुनियादिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ शिक्षा में नहीं होगा भेदभाव, सुप्रीम...

दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ शिक्षा में नहीं होगा भेदभाव, सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

Date:

Related stories

विस्तार से जाने मोहन सरकार के बजट में किस सेक्टर के लिए क्या है बजट?

 विकसित मध्यप्रदेश 2047 पर केंद्रित रहा बजट  पिछले साल की...

डोनेट हैप्पीनेस फाउंडेशन ने किया टी-शर्ट वितरण,

मठ्ठागाँव और छिदगांव कांछी में युवा यूनियन और गौ...

मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, जीएसडीपी 11.05% बढ़ा!

मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था ने बीते वर्ष जबरदस्त उछाल दर्ज...

इन्वेस्टर्स समिट में झलका मध्यप्रदेश का भविष्य, लेकिन क्या प्रदेश का युवा तैयार है?

इन्वेस्टर्स समिट में झलका मध्यप्रदेश का भविष्य, लेकिन क्या...
spot_imgspot_imgspot_img

रोहिंग्या शरणार्थियों के एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के मामले में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। बता दें कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह बात कही।
उच्चतम न्यायालय ने रोहिंग्या शरणार्थियों से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह के लिए तय करते हुए बुधवार को कहा कि शिक्षा के मामले में किसी भी बच्चे के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र और दिल्ली सरकार को दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी स्कूलों व अस्पतालों तक पहुंच प्रदान करने का निर्देश दे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने शिक्षा में किसी तरह के भेदभाव न करने की बात कही और कहा कि अदालत सिर्फ यह जानना चाहती है कि ये रोहिंग्या परिवार कहां रह रहे हैं, किसके घर में रह रहे हैं और उनका विवरण क्या है।

10 दिन बाद होगी सुनवाई
एनजीओ ‘रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि उन्होंने एक हलफनामा दायर कर विस्तृत जानकारी दी है और बताया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों के पास यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त) की ओर से जारी कार्ड हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि यदि इन रोहिंग्या परिवारों के पास ये कार्ड होंगे तो एनजीओ के लिए विवरण देना आसान हो जाएगा। इसके बाद गोंजाल्विस ने अधिक विवरण देने के लिए अदालत से कुछ समय मांगा। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 10 दिन बाद के लिए तय की। इससे पहले 31 जनवरी को शीर्ष अदालत ने एनजीओ से कहा था कि वह अदालत को बताए कि रोहिंग्या शरणार्थी शहर में कहां बसे हैं और उन्हें कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही उसने गोंजाल्विस से हलफनामा दाखिल कर दिल्ली में उनके ठिकानों के बारे में बताने को कहा था।

एनजीओ के वकील ने कही ये बात
गोंजाल्विस ने कहा था कि एनजीओ ने रोहिंग्या शरणार्थियों को स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच उपलब्ध कराने की मांग की है, क्योंकि आधार कार्ड न होने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा था, ‘‘वे शरणार्थी हैं, जिनके पास यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त) कार्ड हैं और इसलिए उनके पास आधार कार्ड नहीं हो सकते। लेकिन, आधार कार्ड न होने के कारण उन्हें स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच नहीं दी जा रही है।’’ गोंजाल्विस ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी दिल्ली के शाहीन बाग, कालिंदी कुंज और खजूरी खास इलाकों में रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शाहीन बाग और कालिंदी कुंज में वे झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहे हैं और खजूरी खास में वे किराए के मकानों में रह रहे हैं।

Subscribe

- Never miss a story with notifications

- Gain full access to our premium content

- Browse free from up to 5 devices at once

Latest stories

spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here