बदायूं में भूमि विवाद: पीड़ित शिव कुमार ने की न्याय की गुहार
बदायूं, उत्तर प्रदेश – नगर पंचायत कछला निवासी शिव कुमार ने अपनी पुश्तैनी जमीन से जुड़े विवाद को लेकर प्रशासन से न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि उनकी पैतृक संपत्ति, जिसका क्षेत्रफल लगभग एक बीघा दो बिसवां (पक्का बीघा ) बताया जा रहा है, से जुड़े सभी रिकॉर्ड पहले सरकारी दस्तावेजों में मौजूद थे, लेकिन बाद में उन्हें गायब कर दिया गया।
शिव कुमार के अनुसार, 1356 पसली से लेकर 79 तक उनके पिता जी के नाम से रिकॉर्ड में जमीन दर्ज थी, लेकिन उसके बाद यह रिकॉर्ड हटा दिए गए। उन्होंने बदायूं रिकॉर्ड रूम जाकर इस मामले की खुद जांच की और पाया कि उनके सभी दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं। तहसील दिवस पर उन्होंने इस संबंध में आवेदन भी दिया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
पीड़ित का आरोप है कि कुछ प्रभावशाली लोग और वकीलों ने मिलकर उनके महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिए, ताकि उनकी पुश्तैनी संपत्ति को हड़पा जा सके। पहले दावा किया गया कि दस्तावेज उपलब्ध हैं, लेकिन बाद में उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि सारे सबूत खत्म हो गए हैं।
शिव कुमार ने बताया कि उनके परदादा सरदार सिंह के तीन बेटे थे, जिनमें से एक उनके दादा थे, जो अल्पायु में ही चल बसे। दूसरे भाई की कोई संतान नहीं थी, और तीसरे भाई की संतानों को ही इस संपत्ति का असली हकदार माना जाना चाहिए। परंतु, बिना किसी सरकारी बंटवारे के मौखिक रूप से जमीन को विभाजित कर दिया गया, जिससे उन्हें और उनके परिवार को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शिव कुमार का कहना है कि उनके परिवार को वर्षों से इस संपत्ति से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है। अब जब भूमि विवाद का मामला गंभीर हो चुका है, तो उन्हें न्याय की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि उनके जमीन से जुड़े असली दस्तावेजों को पुनः प्राप्त कर उन्हें उनका हक दिलाया जाए।
पीड़ित की अपील: शिव कुमार ने प्रशासन और न्यायिक प्रणाली से आग्रह किया है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और उन्हें उनका कानूनी हक दिलाने में सहायता की जाए। उन्होंने कहा कि वे आर्थिक रूप से भी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और मजदूरी तक नहीं कर पा रहे हैं। यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो उनके परिवार की स्थिति और खराब हो सकती है।
प्रशासन से उम्मीद: अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और शिव कुमार को न्याय मिल पाता है या नहीं।