शादी में डीजे पर बैन, सड़क पर महिलाओं का डांस भी प्रतिबंधित

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समाज का फरमान: शादी में डीजे पर बैन, सड़क पर महिलाओं का डांस भी प्रतिबंधित

मध्यप्रदेश के गुर्जर समाज ने सामाजिक सुधार के नाम पर एक कड़ा फैसला लिया है। शादी-विवाह या किसी भी खुशी के अवसर पर डीजे बजाने और महिलाओं के सड़क पर डांस करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस नियम का उल्लंघन करने पर का जुर्माना लगाया जाएगा।

हरदा (अंश फीचर) – हरदा में गुर्जर समाज ने अपने रीति-रिवाज़ों और मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए एक अहम फैसला लिया है। जिले के गुर्जर मंगल भवन में आयोजित भुआणा प्रांतीय गुर्जर सभा की कार्यकारिणी की पहली बैठक में समाज ने डीजे बजाने और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के नृत्य पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया।

समाज की बैठक हरगोविंद मोकाती की अध्यक्षता में हुई, जिसमें नवगठित कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने शपथ ली और समाज की गरिमा बनाए रखने के लिए कई अहम प्रस्ताव पारित किए।

डीजे पर लगा प्रतिबंध, उल्लंघन पर जुर्माना और बहिष्कार

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समाज ने निर्णय लिया है कि अब से शादी-विवाह या किसी भी मंगल अवसर पर डीजे बजाना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। यदि कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसे ₹11,000 का जुर्माना देना होगा। इतना ही नहीं, अगर वह जुर्माना नहीं चुकाता, तो उसे छह महीने के लिए समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। इस अवधि में न तो समाज के लोग उसके किसी आयोजन में शामिल होंगे, और न ही उसे सामाजिक कार्यक्रमों में बुलाया जाएगा।

सड़क पर महिलाओं के नृत्य पर रोक

72+ Thousand Dancing Indian Woman Royalty-Free Images, Stock Photos & Pictures | Shutterstock

बैठक में यह भी तय किया गया कि अब विवाह या अन्य समारोहों के दौरान गुर्जर समाज की महिलाएं सार्वजनिक स्थानों, विशेषकर सड़कों पर नृत्य नहीं करेंगी। समाज का मानना है कि इन मौकों पर कुछ असामाजिक तत्व वीडियो बनाकर उन्हें वायरल कर सकते हैं, जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंच सकती है। हालांकि, घर, आंगन या निजी परिसरों में नृत्य करने पर कोई रोक नहीं है।

संस्कार और संस्कृति को संजोने की पहल

समाज के वरिष्ठ जनों का कहना है कि यह निर्णय समाज की संस्कृति और शालीनता को बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। इस फैसले के जरिए युवा पीढ़ी को भी एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की जा रही है, ताकि सामाजिक आयोजनों में मर्यादा और अनुशासन बना रहे।

समाज की इस पहल के दो नजरिये हो सकते है।

सकारात्मक नजरिया:

  • समाज अपने स्तर पर शालीनता और मर्यादा बनाए रखने के लिए सक्रिय है।
  • महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है, ताकि असामाजिक तत्वों से उन्हें बचाया जा सके।
  • डीजे के शोर-शराबे से होने वाली असुविधा को रोकने का प्रयास है।

विवादास्पद पहलू:

  • इस तरह के फरमान व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर सवाल उठाते हैं।
  • समाज से बहिष्कार जैसी सजा का प्रावधान कठोर और विवादास्पद माना जा सकता है।
  • महिलाओं की सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक उनके अधिकारों के उल्लंघन के रूप में भी देखा जा सकता है।

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