नर्मदा परिक्रमा पथ में कितने आश्रम-सामाजिक भवन, दो माह में होगा सर्वे
अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर से होगा नर्मदा परिक्रमा पथ का चिन्हांकन
रंजीता पंवार
भोपाल (अंश फीचर) – मध्य प्रदेश में नर्मदा परिक्रमा पथ निर्माण की मांग लंबे समय से की जा रही थी। अब इस पर मोहन सरकार ने काम शुरू कर दिया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास, श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में नर्मदा परिक्रमा पथ के साथ ही अन्य विषयों पर विभागीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में मंत्री पटेल ने अधिकारियों से नर्मदा परिक्रमा को ध्यान में रखकर रेडी टू स्टे आश्रय के निर्माण पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि करीब डेढ़ एकड़ में आश्रय का निर्माण किया जा सकता है, जिसमें पेड़ पौधे लगाने के साथ ही रुकने-ठहरने की अच्छी व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा सकती है। मंत्री पटेल ने चातुर्मास करने वालों के लिए विशेष प्रबंध करने को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मदद के लिए स्वयं पहल करने वाले लोगों या समितियों को इसमें शामिल किया जा सकता है
गौरतलब है कि एक महीने पहले मनरेगा द्वारा सिप्री नामक सॉफ्टवेयर बनाया गया है। इसके जरिए परिक्रमा पथ का चिह्नांकन किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर से पता लगाया जा रहा है कि कहां पुलिया, कच्ची सड़क और पक्का मार्ग बना हुआ है।
कहां नई सड़क या पुलिया की जरूरत है, इसका भी आकलन किया जा रहा है। जहां आवश्यक होगा, वहां निर्माण कराया जाएगा। इसके साथ ही, नर्मदा किनारे बने मंदिरों, आश्रमों, सामाजिक भवनों और टॉयलेट की मैपिंग भी की जा रही है। इससे यात्रियों को पहले से इनकी जानकारी मिल सकेगी। नर्मदा नदी की कुल लंबाई लगभग 1314 किमी है। परिक्रमा के दौरान यह दूरी 3500 किमी हो जाती है। इसमें से 2000 किमी का हिस्सा मध्य प्रदेश में आता है। बाकी मार्ग महाराष्ट्र और गुजरात में है। फिलहाल, मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ 2000 किमी का चिह्नांकन करवा रही है। इसमें से 1500 किमी का काम पूरा हो चुका है। यात्रियों के लिए सुविधाएं जुटाने का काम पहले ओंकारेश्वर और महेश्वर से शुरू होगा। लगभग 50% पैदल परिक्रमा इन्हीं तीर्थ स्थलों से शुरू होती है।
डेढ़ एकड़ में बनेगा आश्रय स्थल
नर्मदा किनारे करीब डेढ़ एकड़ में आश्रय स्थल बनाया जाएगा। इसमें पेड़-पौधे लगाए जाएंगे और रुकने-ठहरने की अच्छी व्यवस्था होगी। रेडी-टू-स्टे आश्रय स्थल की 7 लेयर की छत होगी, जिससे इसे मजबूती मिलेगी। यह छत बल्ली, बांस, मिट्टी, मिट्टी के खप्पड़ जैसी पांच लेयर से बनाई जाएगी। इसमें मिट्टी और गोबर का लेपन किया जाएगा। इससे परिक्रमा करने वालों को आध्यात्मिकता का अनुभव होगा। चातुर्मास करने वालों के लिए विशेष व्यवस्था होगी। इस काम में नर्मदा परिक्रमा करने वाले लोग और समितियां भी शामिल हो सकती हैं।
अत्याधुनिक तकनीक से नर्मदा परिक्रमा पथ का चिन्हांकन
नर्मदा परिक्रमा पथ के चिन्हांकन के लिए इस बार पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अत्याधुनिक तकनीक का सहारा ले रहा है। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया है, जिसपर GIS की अत्याधुनिक तकनीकों को शामिल किया गया है। मंत्री पटेल ने इस सॉफ्टवेयर की तारीफ़ करते हुए कहा कि इसकी मदद से नर्मदा परिक्रमा आसान होगी और इसका प्रयोग ग्रे वॉटर मैनेजमेंट के साथ साथ विभाग की अन्य गतिविधियों में भी बहुत काम आयेगा।
चिन्हांकन के लिए विशेष सॉफ्टवेयर
नर्मदा परिक्रमा पथ के चिन्हांकन के लिए ‘सॉफ्टवेयर फॉर आइडेंटिफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर’ बनाया गया है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए नर्मदा पथ को चिन्हित करने का काम किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर में भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) की सभी आधुनिक तकनीकें शामिल की गई हैं। नर्मदा परिक्रमा पथ को लेकर विशेष प्रावधान रेडी टू स्टे आश्रय की व्यवस्था होगी। 7 लेयर की छत होगी, जिससे आश्रय स्थल को मजबूती मिलेगी। बल्ली, बांस, मिट्टी, MS फ्रेम गैप के लिए, MS फ्रेम, प्रोफाइल शीट, मिट्टी के खप्पड़ जैसी पांच लेयर से निर्मित की जाएगी छत मिट्टी और गोबर की छपाई और लेपन का उपयोग होगा।