आज हम बात करेंगे सीकर, राजस्थान के एक साधारण व्यक्ति, बाबूलाल जांगिड़ की, जिनका संघर्ष आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।
क्या है पूरी कहानी?
बाबूलाल जांगिड़, जो कभी दुबई में काम कर अपने परिवार का सपना पूरा कर रहे थे, आज अपनी आवाज़ सरकार तक पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2013 में एक सड़क दुर्घटना ने उनकी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। सिर पर गंभीर चोटें और पैरालिसिस ने न केवल उनकी शारीरिक क्षमता छीन ली, बल्कि उनकी बीमा पॉलिसी का क्लेम भी।
बीमा कंपनी का रवैया
MetLife Alico Dubai Insurance Company ने बाबूलाल की दो पॉलिसियां खारिज कर दीं।
1. कंपनी का दावा: दुर्घटना के समय पॉलिसी एक्टिव नहीं थी।
2. दूसरा तर्क: पैरालिसिस को बीमारी बताया गया, जबकि यह दुर्घटना का साइड इफेक्ट था।
बाबूलाल का कहना है कि कंपनी ने जानबूझकर उनके एटीएम से प्रीमियम कटौती बंद कर दी। उनके पास दुर्घटना के सभी दस्तावेज हैं, लेकिन फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल रहा।
बाबूलाल की अपील
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से अपील की है कि सरकार बीमा कंपनी पर कार्रवाई करे और उन्हें उनका बीमा क्लेम दिलवाए। बाबूलाल का कहना है कि आज उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हो गया है।
क्या सवाल उठते हैं?
क्या बीमा कंपनियां गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के साथ यही करती रहेंगी?
क्या सरकार बाबूलाल जैसे लोगों को न्याय दिला पाएगी आखिर कब तक एक साधारण इंसान अपनी आवाज़ सुनाने के लिए संघर्ष करता रहेगा?
आपकी भूमिका
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