अपना रक्षा बजट और अधिक बढ़ाएगा चीन, कहा-संप्रभुता की रक्षा के लिए ताकत का होना जरूरी

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चीन इस बार अपना रक्षा बजट फिर बड़े पैमाने पर बढ़ाने जा रहा है। इसका संकेत अभी से दे दिया है। चीन अपनी सामरिक ताकत बढ़ाकर भारत और अमेरिका जैसे देशों को लगातार चुनौती दे रहा है।

चीन अपनी ताकत से लगातार अमेरिका को चुनौती दे रहा है। वह सुपर पॉवर बनने के लिए अपनी सामरिक ताकत को बढ़ाता जा रहा है। चीन ने मंगलवार को अपना रक्षा बजट बढ़ाने का संकेत देते हुए कहा कि शांति और संप्रभुता की सिर्फ ‘‘ताकत से रक्षा’’ की जा सकती है। चीन बुधवार को अपने रक्षा व्यय का ब्योरा प्रस्तुत करेगा जो संसद (नेशनल पीपुल्स कांग्रेस) में प्रधानमंत्री ली कियांग द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले मुख्य बजट का एक हिस्सा है। पिछले साल चीन ने अपने रक्षा बजट को 7.2 प्रतिशत बढ़ाकर लगभग 232 अरब अमेरिकी डॉलर (1.67 ट्रिलियन युआन) कर दिया था जो भारत के बजट से तीन गुना से अधिक है।

चीन अपने सभी सशस्त्र बलों का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण करने का काम जारी रखे हुए है। चीन के रक्षा बजट के आंकड़ों को उसके द्वारा विमानवाहक पोतों के निर्माण, उन्नत नौसैनिक जहाजों और आधुनिक स्टील्थ विमानों के तेजी से निर्माण सहित बड़े पैमाने पर सैन्य आधुनिकीकरण के मद्देनजर संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। खर्च का बचाव करते हुए नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के प्रवक्ता लू किनजियान ने यहां मीडिया से कहा कि ‘‘शांति की रक्षा के लिए ताकत जरूरी है।’’

पिछले कई वर्षों से चीन का फोकस रक्षा बजट पर

उन्होंने कहा कि मजबूत राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं के साथ, चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता है, एक प्रमुख देश के रूप में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा सकता है और विश्व शांति और स्थिरता की रक्षा कर सकता है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में चीन का रक्षा व्यय वैश्विक औसत से कम है। वर्ष 2016 से चीन के वार्षिक रक्षा खर्च में लगातार नौ वर्षों से एकल अंक में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन का रक्षा खर्च जीडीपी के हिस्से के रूप में पिछले कई सालों से डेढ़ फीसदी से कम रहा है।

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