नमस्कार दोस्तों ई खबर में आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में घोटाला! गरीब का हक छीनकर किसी और को दिया मकान, परिवार ने सरकार से मदद की गुहार
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के हरसूद उपखंड के मानपुरा गांव में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। राजकुमार चौहान के नाम स्वीकृत मकान को रामकुमार कल्लू नामक व्यक्ति को दे दिया गया। राजकुमार चौहान का आरोप है कि अधिकारियों की मिलीभगत से उन्हें जबरन स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर करवाकर उनके हक का मकान छीन लिया गया।
गरीब परिवार को बेघर कर दिया गया
राजकुमार चौहान (पुत्र बिहारीलाल) ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत आवेदन किया था और उनकी पात्रता भी तय हो चुकी थी। समग्र परिवार आईडी (46510600) के तहत उनका 27 अगस्त 2018 को पंजीकरण हुआ था। लेकिन कुछ अधिकारियों और ग्राम पंचायत कर्मचारियों ने मिलकर उनका नाम सूची से हटाकर मकान किसी और को आवंटित कर दिया।
इस घोटाले के कारण राजकुमार की पत्नी अनीता कोरकू और उनके दो छोटे बच्चे, रोशन और वैष्णवी, बेघर हो गए हैं। पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा यह परिवार अब अपने लिए छत की तलाश में दर-दर भटक रहा है।
अधिकारियों पर गंभीर आरोप, भ्रष्टाचार का बड़ा खेल
राजकुमार चौहान ने पंचायत और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम पंचायत जामन्या कला और जनपद पंचायत खालवा के अधिकारियों ने रिश्वत के बदले उनका हक किसी और को बेच दिया। उन्होंने बताया कि जनपद पंचायत खालवा के नर्भय सिंह द्वारा 2018 में उनकी पात्रता की पुष्टि की गई थी, लेकिन बाद में दस्तावेजों में हेरफेर कर रामकुमार कल्लू को मकान आवंटित कर दिया गया।
स्टांप पेपर पर जबरन हस्ताक्षर करवा कर छीना गया हक!
राजकुमार चौहान का कहना है कि अधिकारियों ने उन्हें स्टांप पेपर पर दबाव डालकर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए और उनके नाम का मकान किसी और के नाम पर कर दिया। यह न केवल गरीब के अधिकार का हनन है, बल्कि सरकारी योजना में एक बड़े घोटाले का संकेत भी देता है।
प्रशासन और सरकार से न्याय की गुहार
राजकुमार चौहान ने मीडिया के माध्यम से प्रशासन और सरकार से न्याय की अपील की है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ पात्र व्यक्तियों को मिलना चाहिए, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उन्हें कच्चे मकान में रहने को मजबूर कर दिया गया।
परिवार ने खंडवा जिला प्रशासन, जनपद पंचायत खालवा और राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है।
क्या मिलेगा न्याय या फिर होगा आंदोलन?
इस मामले ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो पीड़ित परिवार को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस गड़बड़ी पर क्या कदम उठाता है और क्या राजकुमार चौहान को उनका हक का मकान वापस मिल पाएगा?
क्या है पूरा मामला?
राजकुमार चौहान (पुत्र बिहारीलाल) ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत आवेदन किया था और उनकी पात्रता भी तय हो चुकी थी। समग्र परिवार आईडी (46510600) के तहत उनका 27 अगस्त 2018 को पंजीकरण हुआ था। लेकिन कुछ अधिकारियों और ग्राम पंचायत कर्मचारियों ने मिलीभगत कर उनका नाम योजना की पात्र सूची से हटा दिया और उनका मकान रामकुमार कल्लू को आवंटित कर दिया।
राजकुमार ने बताया कि अधिकारियों ने स्टांप पेपर पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए और मकान उनके नाम से हटाकर किसी और को दे दिया। इसके चलते उनकी पत्नी अनीता कोरकू और दो छोटे बच्चे, रोशन और वैष्णवी, बेघर हो गए। परिवार की पहले से ही आर्थिक स्थिति खराब थी, और अब बिना छत के रहने की वजह से वे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
भ्रष्टाचार और मिलीभगत के गंभीर आरोप
राजकुमार चौहान ने ग्राम पंचायत जामन्या कला और जनपद पंचायत खालवा के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रिश्वत के बदले उनका हक छीन लिया गया। जनपद पंचायत खालवा के नर्भय सिंह द्वारा 2018 में उनकी पात्रता की पुष्टि की गई थी, लेकिन बाद में दस्तावेजों में हेरफेर कर रामकुमार कल्लू को मकान दे दिया गया।
परिवार ने सरकार से आर्थिक मदद की लगाई गुहार
बेघर होने के बाद राजकुमार चौहान का परिवार अब सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर रहा है। उनका कहना है कि जब तक उन्हें योजना के तहत उनका मकान नहीं मिलता, तब तक सरकार को उन्हें रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था और आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।
प्रशासन करेगा कार्रवाई या फिर गरीब परिवार को करना पड़ेगा संघर्ष?
इस मामले ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो पीड़ित परिवार को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस भ्रष्टाचार पर क्या कार्रवाई करता है और क्या राजकुमार चौहान को उनका हक वापस मिलेगा?