Home टॉप न्यूज़ “एक ऐसी पहल जो संवारेगी मध्यप्रदेश का कल”

“एक ऐसी पहल जो संवारेगी मध्यप्रदेश का कल”

0

न शो-ऑफ, न शोर… सीधे पानी पर जोर

   रंजीता पंवार

भोपाल (अंश फीचर) यह कोई प्रचार नहीं है। न कैमरों की चमक है, न मंचों पर भाषणबाज़ी। यह अभियान सीधे ज़मीन पर उतरा है — मिट्टी में, पानी में, प्यास में और उम्मीद में। मध्यप्रदेश में जल संकट की वर्षों पुरानी पीड़ा अब किसी सरकारी रिपोर्ट का विषय नहीं, बल्कि सरकार की प्राथमिकता बन गई है। और इसकी अगुवाई कर रहे हैं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जिनके नेतृत्व में प्रारंभ हुआ “जल गंगा संवर्धन अभियान” अब एक आंदोलन का रूप ले चुका है।

पानी के लिए गंभीरता का नया चेहरा

“जल गंगा संवर्धन अभियान” कोई प्रतीकात्मक प्रयास मात्र नहीं है। यह जल प्रबंधन के आधुनिक मॉडल, पारंपरिक ज्ञान और जनभागीदारी का संगम है। मोहन यादव ने इस अभियान को सिर्फ सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक जन-आस्था और सामाजिक चेतना का विषय बना दिया है।

राज्य के हर कोने में, हर पंचायत, हर मोहल्ला, हर स्कूल-कॉलेज तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है— “अब पानी सिर्फ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं, हम सबकी जवाबदारी है।” तालाब फिर से बोलने लगे हैं, कुएं फिर से मुस्कराने लगे हैं।

अभियान की शुरुआत के साथ ही सैकड़ों सूखे पड़े तालाबों की सफाई शुरू हुई। भूजल स्तर गिरने की पीड़ा झेल रहे गांवों में रिचार्ज पिट, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, कंटूर ट्रेंच, चेक डैम, और ड्रेनेज सुधार जैसी तकनीकों पर एक साथ काम शुरू हुआ। पुराने कुएं और बावड़ियों को पुनर्जीवित किया गया, और कुछ जिलों से यह भी संकेत मिलने लगे हैं कि भूजल स्तर में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जल संरक्षण केवल सरकारी योजना नहीं हो सकती – इसमें जनता की भागीदारी अनिवार्य है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्कूलों, कॉलेजों, स्वयंसेवी संगठनों और महिला समूहों को इस अभियान से जोड़ा गया है। हर आयु वर्ग और सामाजिक वर्ग को यह अहसास कराया जा रहा है कि “अगर आज हम पानी नहीं बचाएंगे, तो कल पानी हमें नहीं बचा पाएगा।”

“पानी वाले भैया” — एक भरोसे का नाम

मुख्यमंत्री मोहन यादव अब सिर्फ एक राजनीतिक नेतृत्वकर्ता नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की हर बूँद के संरक्षक के रूप में देखे जा रहे हैं। लोग उन्हें “पानी वाले भैया” कहने लगे हैं— यह संबोधन न किसी विज्ञापन से आया है, न प्रचार से — यह उपजा है विश्वास से, अनुभव से और ज़मीन पर दिख रहे परिणामों से।

एक विजन, जो भविष्य को दिशा देगा

जल गंगा संवर्धन अभियान न केवल वर्तमान की ज़रूरतें पूरी करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भविष्य की जल सुरक्षा नीति की आधारशिला भी है। मध्यप्रदेश अब “जल-संवेदनशील” राज्य से “जल-सक्षम” राज्य बनने की ओर अग्रसर है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version