जीवन कभी-कभी ऐसे मोड़ पर आकर खड़ा हो जाता है, जहां हर दरवाजा बंद नजर आता है। ऐसा ही हाल [व्यक्ति का नाम] के परिवार का है, जो इस वक्त भारी संकट में है। इनकी बहन के पति की टांग टूट चुकी है और डॉक्टरों ने तत्काल ऑपरेशन की जरूरत बताई है। लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परिवार इलाज करवाने में असमर्थ है।
आयुष्मान कार्ड नहीं, सरकारी अस्पताल में भी कठिनाइयाँ
पीड़ित परिवार के पास आयुष्मान भारत कार्ड नहीं है, जिससे उन्हें मुफ्त इलाज की सुविधा मिल सके। सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन की जरूरत तो बताई जा रही है, लेकिन बिना आर्थिक सहायता के इलाज संभव नहीं हो पा रहा। ऐसे में परिवार अपनी गुहार लेकर कई जगह भटक चुका है, लेकिन कोई मदद के लिए तैयार नहीं है।
पांच बहनों का अकेला सहारा, परिवार पर टूटा संकट
इस परिवार की हालत और भी दयनीय इसलिए हो गई है क्योंकि माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। पांच बहनों में से कोई भी आर्थिक रूप से इतनी सक्षम नहीं कि ऑपरेशन का खर्च उठा सके। ऐसे में उनके बहनोई ही घर के इकलौते कमाने वाले थे, जिनके इलाज के लिए अब पैसों की जरूरत है।
प्रशासन और समाज से मदद की अपील
परिवार अब प्रशासन, सामाजिक संगठनों और दानदाताओं से मदद की गुहार लगा रहा है। मेडिकल इमरजेंसी के इस दौर में यदि जल्द सहायता नहीं मिली, तो परिवार के लिए स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
क्या प्रशासन करेगा मदद?
सरकार और प्रशासन से यह सवाल उठता है कि ऐसे जरूरतमंदों के लिए क्या तत्काल कोई राहत योजना है? गरीबों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ होनी चाहिए, ताकि ऐसे हालात में किसी को इलाज के लिए दर-दर न भटकना पड़े।
अगर कोई व्यक्ति या संस्था इस परिवार की मदद करना चाहता है, तो उनसे संपर्क किया जा सकता है। प्रशासन से अनुरोध है कि इस परिवार को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जाए, ताकि पीड़ित को समय पर इलाज मिल सके और परिवार इस संकट से बाहर आ सके।