मीरगंज (उत्तर प्रदेश): शादी के बाद एक बेटी का सपना होता है कि वह अपने ससुराल में खुशी-खुशी रहे, लेकिन मीरगंज तहसील के कुलछा खुर्द गांव की रहने वाली शीला मौर्य के साथ जो हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं। शादी के कुछ ही महीनों बाद उसका ससुराल उसके लिए एक यातना शिविर बन गया। पति विक्रम कुमार और उसके परिवार ने 2 लाख रुपये दहेज की मांग को लेकर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।
हत्या की कोशिश: पड़ोसियों ने बचाई जान
पीड़िता के अनुसार, 25 अक्टूबर 2024 को उसके पति विक्रम कुमार, सास सावित्री देवी, देवर अमित कुमार, ननद सुहानी, सास के भाई शिवचरण और देवर के दोस्त आशीष कुमार ने मिलकर उसकी हत्या करने की कोशिश की। गला दबाकर उसे मारने का प्रयास किया गया। जब वह खुद को बचाने के लिए छटपटा रही थी, तब पड़ोसियों ने घर से आ रही चीख-पुकार सुनी और दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए। अंदर का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए—शीला मौर्य बेहोश पड़ी थी, और उसके गले पर गहरे निशान थे।
पड़ोसियों के हस्तक्षेप से आरोपी घबरा गए और आनन-फानन में उसे सैनिक अस्पताल में भर्ती करा दिया। जब इस घटना की खबर पीड़िता के माता-पिता को लगी, तो वे तुरंत अस्पताल पहुंचे। लेकिन ससुरालवालों ने पुलिस कार्रवाई के डर से माफी मांग ली और अच्छे से रखने का वादा किया। भावुक होकर पीड़िता ने केस दर्ज नहीं कराया, लेकिन यह उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
जबरन गर्भपात और जान से मारने की धमकी
पीड़िता ने बताया कि जब वह गर्भवती हुई, तो उसके ससुरालवालों ने उसकी जिंदगी को और भी बदतर बना दिया। उसे जबरन गर्भपात कराने की दवा दी गई और विरोध करने पर घर से निकाल दिया गया। देवर का दोस्त आशीष कुमार,अमित कुमार लगातार उसे धमकी दे रहा है कि,
“मेरा पुलिस में क्लियर हो चुका है, एक बार नौकरी लगने दो, फिर देखूंगा कौन क्या कर सकता है!”
अब पीड़िता अपने मायके में रह रही है, लेकिन वह मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी है।
पीड़िता ने लगाई न्याय की गुहार
पीड़िता ने प्रशासन और पुलिस से अपने पति और ससुराल पक्ष के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो उनकी जान को खतरा बना रहेगा।
पुलिस कार्रवाई पर सवाल, क्या मिलेगा न्याय?
अब सवाल यह उठता है कि क्या पुलिस पीड़िता की शिकायत को गंभीरता से लेकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी या फिर दहेज की बलि चढ़ी एक और बेटी की कहानी फाइलों में दबकर रह जाएगी?